कठिन तो है बहुत, मगर नहीं लगता
मुहब्बत का सफर, सफर नहीं लगता
नहीं है खौफ मुझे हवा के तेज़ झोंकों का
बुझे चरागों को हवाओं से डर नहीं लगता
सेहन, दरीचे और दर-ओ-दीवार वही लेकिन
तेरे जाने बाद ये घर, घर नहीं लगता
ना लिखी जाती मेरी बर्बादियों की दास्तां
ये दिल मेरा तुमसे अगर नहीं लगता
अभी बाक़ी हैं रात की निशानियाँ बहुत अब्द
स्याह उजालों वाला ये सहर, सहर नहीं लगता
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