Saturday, November 23, 2013

Ek Ghazal

मुझे  दिल लगाने कि बुरी आदत है
और उन्हें दिल जलाने  कि बुरी आदत है 

लबो पे तबस्सुम मतलब ख़ुशी है लेकिन 
मुझे दर्द में मुस्कुराने कि बुरी आदत है 

लुत्फ़ उठाता हूँ मैं इंतज़ार का बहुत
 और  उन्हें देर  करके  आने कि बुरी आदत है 

हम पे तंज़ हुए और फ़िक़रे भी कसे  गये 
इल्ज़ाम लगाना ज़माने की  बुरी आदत है 

इश्क़ में क्या काम अक़ल  वो दानाई का 
लेकिन उनको तो समझाने कि बुरी आदत है 

 फलक से चाँद सितारे भी तोड़  लाएंगे 
छोड़िए अब्द उनको बात बनाने कि बुरी आदत है 







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