Thursday, May 23, 2013

EK TAZA GHAZAL

ग़ज़ल 


मैंने चाहा  उन्हें, उनको  मुझसे प्यार न हुआ 
मेरी वफाओं का  उनको  ऐतबार  न हुआ 


न मौजों का पता है न साहिल की  खबर 
बहर-इ-इश्क में जो कूदा वो कभी  पार  न हुआ 

खिजां थी मेरी किस्मत वही मुझको मिली 
मेरे गुलशन में कभी मौसम-ए - बहार न हुआ 

जुर्म-ए -उल्फ़्त का इलज़ाम था हम पे 
उनसे इकरार न हुआ हमसे  इंकार न हुआ 

जिसके लिए हम ने तो सदियाँ गुज़ार  दी 
उस बेवफा से दो पल भी इंतज़ार न हुआ 

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