इश्क़ में मुझे भी कुछ दस्तूर निभाना था
बस सुर्ख अंगारों पे चल के जाना था
मौत का दिन तो तय था बहुत पहले से
उनकी क़ातिल निगाहों का तो सिर्फ़ एक बहाना था
उनकी क़ातिल निगाहों का तो सिर्फ़ एक बहाना था
हाँ फिर हरा हो गया तुम्हारी बातों से
वरना ये जख्म तो काफ़ी पुराना था
वरना ये जख्म तो काफ़ी पुराना था
गेस्सुएँ के हसीन साए और सुरमई शाम
सोंचता हूँ, था भी तो वो क्या ज़माना था
सोंचता हूँ, था भी तो वो क्या ज़माना था
मैं जनता हूँ की बेकार है ये इंतेज़ार अब्द
वो तो आ चुके होते अगर उनको आना था
Ishq mein mujhe bhi kuchh dastoor nibhana thaवो तो आ चुके होते अगर उनको आना था
Bas in surkh angaron pe chal ke jana tha
Maut ka din to tai tha bahut pahle se
Unki qatil nigahon ka to sirf ek bahana tha
Hanh phir hara ho gaya tumhari baton se
Warna ye jakhm to kafi purana tha
Gessuyen ke haseen saye aur surmayee shaam
Sonchta hun, tha bhi to wo kya zamana tha
main janta hoon ki bekar hai ye intezaar abd
Wo to aa chuke hote agar unko aanaa tha
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