ग़ज़ल
Faile huye sehra mein sarab sa hai फैले हुए सेहरा में सराब सा है
Mera wazood bas ek khawab sa hai मेरा वज़ूद बस एक ख़्वाब सा है
Har lafz unka hai muamaa jaisa हर लफ़्ज़ उनका है मुअम्मा
जैसा
Unka harek sawal to jawab sa hai उनका हरेक सवाल तो जवाब सा है
Jaam nahin,lahu insano ka hai ye जाम नहीं लहू इंसानो का है ये
Rang iska bhale kuchh sharab sa hai रंग इसका भले कुछ शराब सा है
Dahakta hua aatish fishan hai wo दहकता हुआ आतिश फ़िशां है वो
Chehra magar
gulab sa hai चेहरा मगर
uska ek
उसका एक
गुलाब सा है
Chandni raat hai , phir bhi teergi har taraf चांदनी रात है फिर भी तीरगी हर तरफ
Chand ke rukh pe abr k hizab sa hai चाँद के रुख पे अब्र का हिज़ाब सा है
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